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वज्रासन करने के फायदे और तरीका | vajrasana karne ke fayde aur tarika

वज्रासन करने के फायदे और तरीका | vajrasana karne ke fayde aur tarika 


हम सभी को पता है कि योग का अभ्यास खाली पेट करना चाहिए लेकिन एक योगासन ऐसा भी है जिसे भोजन करने के पश्चात् भी कर सकते हैं। इस योग का नाम है वज्रासन। यदि आप खाना खाने 5  मिनट के बाद वज्रासन का अभ्यास करते हैं तो इससे भोजन के पाचन में भी आसानी रहती है। 
ज्यादातर लोग पद्मासन में बैठकर ध्यान करते हैं लेकिन आप इसे वज्रासन में भी कर सकते हैं। इस योग आसन में बैठकर कपालभाति, प्राणायाम और अनुलोम-विलोम भी कर सकते हैं।

यह योग कोई भी कर सकता है क्योंकि यह योग बहुत सरल और सुरक्षित है फिर भी हमें कुछ सावधानियां रखनी चाहिए। जो इस प्रकार है।
वज्रासन करने के फायदे और तरीका | vajrasana karne ke fayde aur tarika

सावधानियां

यदि रीड की हड्डी में चोट लगी हो या दर्द रहता हो तो वज्रासन नहीं करना चाहिए। 
आंतो में अल्सर, हर्निया या आंतों में कोई समस्या है तो इस आसन को नहीं करना चाहिए। 
गर्भवती महिलाओं को इस आसन को नहीं करना चाहिए। किसी कारण से घुटनों में दर्द हो या चोट लगी हो या फिर घुटनों का ऑपरेशन हुआ हो तो वज्र आसन नहीं करना चाहिए। 
एडियो में कोई बीमारी हो या टखने में दर्द हो तो यह योग नहीं करें। 
योग्य प्रशिक्षक की सहायता ले सकते हैं। 

वज्रासन करने का तरीका

सबसे पहले मुलायम दरी या मेट लेकर बैठ जाएं। 
घुटनों के बल आ जाएं और पंजों के अंगूठो को मिला लें। ध्यान रखें कि एडियो में थोड़ा अंतर रखें। 
इस तरह से बैठ जाएं की पैरों के तलवे पीछे हो जाएं और नितंब एड़ियों के ऊपर आ जाएं। 
घुटनों को मिलाकर रखें अपने हाथ घुटनों पर रखें। 
आंखें बंद करके लंबी और गहरी सांस लें और छोड़ें। 
इस आसन को शुरू में 5 मिनट या जितनी देर आराम दायक लगे करना चाहिए। 
वज्रासन करने के फायदे और तरीका | vajrasana karne ke fayde aur tarika

वज्रासन के फायदे

वज्रासन के अभ्यास से जांघ, कमर और नितंब मजबूत बनते हैं। 
प्रजनन प्रणाली को मजबूत बनाता है। 
यह आसन गैस, अपच और कब्ज आदि समस्याओं को ठीक करने में सहायक है। 
महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता की समस्या दूर होती है। 
शरीर को फिट रखे और वजन कम करने में सहायक है। इस आसन को करने से पीठ मजबूत बनती है और साइटिका की समस्या में राहत मिलती है। 

वज्रासन का अभ्यास उतनी ही देर करना चाहिए जितनी देर आसानी से कर सकें। शुरुआत में पैरों में दर्द हो सकता है। इसलिए शुरुआत में इस आसन का अभ्यास धीरे धीरे करें। जब आपकी पीठ और पैर को इस आसन को करने की आदत हो जाए तो समय को बढ़ा सकते हैं।

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