वृश्चिकासन के लाजवाब फायदे और तरीका | vrischikasana ke lajawab fayde aur tarika
वृश्चिकासन दो शब्दों के योग से बना है, यहां वृश्चिक का आशय है बिच्छू। यह योगासन करते समय शरीर बिच्छू के समान दिखाई देता है।
शुरुआत में इस योग को करना कठिन लगता है, लेकिन लगातार अभ्यास से यह आसन करना सरल हो जाता है इस आसन को सीखने में काफी अभ्यास की आवश्यकता होती है।
शुरुआत में इस योग को करना कठिन लगता है, लेकिन लगातार अभ्यास से यह आसन करना सरल हो जाता है इस आसन को सीखने में काफी अभ्यास की आवश्यकता होती है।
वृश्चिकासन के फायदे
वजन कम करें।
शरीर को मजबूती प्रदान करें
पाचन तंत्र ठीक करें
रक्त संचार को सही रखता है
मूत्र रोगों में राहत दिलाए
तनाव से राहत
याददाश्त और एकाग्रता में सुधार
चेहरे पर चमक
वजन कम करें
वजन बढ़ने से शरीर में कई तरह के रोग हो जाते हैं। इस योगासन का नियमित अभ्यास करने से वजन कम करने में सहायता मिलती है।
इस आसन का अभ्यास करने पर पेट तथा कंधों की मांसपेशियों में खिंचाव होता है, जिससे बड़ा हुआ पेट कम हो सकता है और शरीर सुडौल बनता है।
इस आसन का अभ्यास करने पर पेट तथा कंधों की मांसपेशियों में खिंचाव होता है, जिससे बड़ा हुआ पेट कम हो सकता है और शरीर सुडौल बनता है।
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शरीर को मजबूती प्रदान करें
इस योगासन को करते समय पेट, कंधों, कोहनियों और रीड की हड्डी पर खिंचाव होता है जिससे शरीर मजबूत बनता है।
पाचन तंत्र ठीक करें
अच्छा खाना ही नहीं, खाए गए भोजन को सही से पचने पर ही स्वास्थ्य ठीक रहता है। इस योग आसन के अभ्यास से पेट के आंतरिक अंगों का व्यायाम भी हो जाता है। इससे पेट में ऐसे रसों का स्त्राव होता है जिससे पाचन तंत्र ठीक से काम कर पाता है।
रक्त संचार को ठीक करें
शरीर के सभी अंगो का स्वथ्य रहना तथा उनकी क्षमता को बनाए रखने में रक्त संचार की अहम भूमिका होती है। इस योगासन के अभ्यास से पूरे शरीर में रक्त का तेजी से संचार होता है। इस प्रकार इस योग को करने से रक्त संचार के खराब होने की संभावना कम हो जाती है।
मुत्र रोगों में राहत
इस प्रकार के रोग हो जाने से व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है। वृश्चिकासन आसन के नियमित अभ्यास से मूत्र रोगों में राहत मिल सकती है।मुत्र रोग के रोगियों को रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही इलाज के साथ योग का अभ्यास भी किया जा सकता है।
तनाव में राहत
तनाव मुक्त होने का सबसे ज्यादा उपयोगी तरीका योग ही है। वृश्चिकासन को करने से ऑक्सीजन की मात्रा मस्तिष्क तक पहुंचती है जिससे तनाव दूर होता है और मानसिक शांति मिलती है।
याददाश्त और एकाग्रता
इस योग के निरंतर अभ्यास से मस्तिष्क की मांसपेशियों को पर्याप्त रक्त संचार और ऑक्सीजन की पूर्ति होती है। इससे मस्तिष्क का स्वास्थ्य ठीक रहता है जिससे मस्तिष्क सही ढंग से कार्य कर पाता है और उसकी एकाग्रता और कार्य करने की क्षमता का विकास होता है।
चेहरे पर चमक
वृश्चिकासन का अभ्यास करने से चेहरे और सिर में रक्त का संचार बढ़ता है। जिससे चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है। इसके अलावा यह योग करने से चेहरे पर जल्दी झुर्रियां भी नहीं आती।
वृश्चिकासन करने का तरीका
मुलायम मेट या दरी बिछाकर घुटनों के बल बैठ जए।
दोनों हाथों की हथेलियों और कहानियों को नीचे टिका दें। पैरो को ऊपर उठाना शुरू करें।
सीने और चेहरे को सामने रखें।
शरीर पूरा उठ जाने पर घुटनों को नीचे की तरफ मोड़ ले। शरीर के धनुष की तरह हो जाने पर पंजों को सिर से स्पर्श कराने का प्रयास करें।
ध्यान रखने योग्य बातें
इस योग का अभ्यास किसी योग्य प्रशिक्षित अध्यापक की देखरेख में ही करें।
ब्लड प्रेशर, टीबी, अल्सर, हर्निया और ह्रदय रोग वाले रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को यह योग नहीं करना चाहिए।
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