योग के प्रकार एवं लाभ
योग का मतलब है जुड़ना, यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन । ईश्वर से मिलन या मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से अशांत मन को खींचकर केंद्र की और ले जाना ही योग है जिस प्रकार मेले और अशांत पानी में आकृति साफ नहीं दिखाई देती है उसी प्रकार इंद्रियों के वश में उलझ कर मनुष्य अपने आंतरिक स्वरूप को नहीं देख पाता ।योग द्वारा हम समाधि जैसी अवस्था में पहुंचकर परमब्रह्म से साक्षात्कार कर सकते हैं।योग के प्रकार
कर्म योग
गीता के श्लोक के माध्यम से श्री कृष्ण ने कहा है कि कर्म करते जाओ फल की इच्छा मत करो जब परिणाम की चिंता किए बगैर कोई कार्य किया जाता है इससे ही कर्म योग कहते हैं। स्वयं के स्वार्थ के लिए किया गया काम सकाम कर्म कहलाता है ऐसा कर्म हमें जीवन और मृत्यु के बंधन में व्यस्त रखता है। निष्काम कर्म उसे कहते हैं जिसमें स्वार्थ और अहंकार की भावना नहीं होती है। यहां कर्म योग का सार भी यही है कि हमें इस प्रकार का कर्म करना चाहिए जो फल के रूप में मुक्ति और ईश्वर प्राप्ति वाला हो।
ज्ञान योग
स्वयं के बारे में जानकारी प्राप्त करना और अपने चारों ओर के वातावरण को समझना और अनुभव करना ही ज्ञान योग है।
हठयोग
यह योग मन और शरीर का लोकप्रिय व्यायाम है योगाभ्यास को नियमित रूप से करने से शरीर शक्तिशाली और लचीला बनता है और मन में तनाव रहित तथा संतुलित विचारों का प्रभाव होता है।
राजयोग
स्वभाव से मानव मन चंचल और अशांत होता है। मन की चंचलता को नाश करने और अपने वश में लाना और आत्मशक्ति को एकत्रित करना ही राजयोग है। राजयोग सभी योगों का राजा कहलाता है। इसका उद्देश्य समाधि नाम वाली पूर्ण अवस्था में पहुंचाना है।महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग का वर्णन किया है ।अष्टांग योग इस प्रकार है
1.यम
2.नियम
3.आसन
4.प्राणायाम
5.प्रत्याहार
6.धारणा
7.ध्यान
8.समाधि
मानव जीवन में योग के मानसिक व शारीरिक कई तरह के लाभ होते हैं। हम यहां योग के 9 लाभो की जानकारी दे रहे हैं
1 मन और शरीर का व्यायाम
नियमित योग करने से मांसपेशियों तो स्वस्थ रहती ही है साथ ही मस्तिष्क की कोशिकाएं भी सक्रिय रहती है। योग करने से हम ऊर्जावान बने रहते हैं ,जिसके कारण हमारा मन शांत बना रहता है। योग से हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है।
2 रोगों से मुक्ति
हम नियमित रूप से योगाभ्यास करते हैं तो हम कई तरह की बीमारियों से दूर रहते हैं। यदि आपको कोई बीमारी है तो भी नियमित योगाभ्यास से हम रोग मुक्त हो सकते हैं। कई तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद में अनेक तरह के योग आसनों का वर्णन है।
3 वजन नियंत्रण
वजन नियंत्रण करने में मदद के लिए योग भी एक प्रभावी उपकरण हो सकता है योग को उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है जो अन्य तरीकों से अपना वजन कम करने का प्रयास कर रहे हैं। योगाभ्यास करने से शरीर की अतिरिक्त वसा कम होती है। शरीर अधिक लचीला बनता है। वजन कम करने के लिए कई योगासन है जैसे सूर्य नमस्कार ,वीरभद्रासन ,त्रिकोणासन आदि ।
4 अच्छी श्वसन प्रणाली
यदि आप योग को अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाते हैं तो योग में सांस लेने और छोड़ने के बहुत ही अद्भुत व्यायाम है जो आपके श्वसन तंत्र के स्वास्थ्य में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। वायु प्रदूषण के कारण हमारे फेफड़ों के प्राकृतिक कामकाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। योगाभ्यास करने से ऑक्सीजन का संचार और अवशोषण बढ़ता है और हमारी श्वसन प्रणाली ठीक रहती है।
5 रक्त संचार
शरीर को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए रक्त संचार का सही से काम करना अति आवश्यक है। रक्त संचार सही रहने से सारे अंग तो ठीक से कार्य करते ही हैं साथ ही शरीर का तापमान भी सही रहता है। नियमित योगाभ्यास करने से आपके शरीर का रक्त संचार दुरुस्त रहता है और आप ह्रदय रोग,स्ट्रोक और खून का थक्का बनने जैसे रोगों से बचे रहते हैं।
6 पाचन शक्ति
योग किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से रहित एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके नियमित अभ्यास से पेट के अंगों में शीतलता आती है और जिससे पाचन तंत्र दुरुस्त रूप से कार्य करता है। यदि पेट में गैस,अपच और कब्ज की शिकायत है तो आपकी पाचन क्रिया ठीक नहीं है। आप नियमित रूप से योगाभ्यास कर अपनी पाचन शक्ति को ठीक कर सकते हैं। इसके लिए आप उष्टासन,पद्मासन धनुराजन,नौकासन इत्यादि का अभ्यास कर सकते हैं।
7 तंत्रिका तंत्र प्रणाली
शरीर में तंत्रिका तंत्र की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। तंत्रिका तंत्र का संबंध सीधे मस्तिक से होता है। यह शरीर के प्रत्येक अंग का संबंध मस्तिक से करने का साधन है। हम योग के द्वारा तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रख सकते हैं। यदि आप चाहते हैं, आप हमेशा स्वस्थ रहें और आपका तंत्रिका तंत्र मजबूत व सक्रिय रहे तो निरंतर व नियमित रूप से योगाभ्यास करते रहना चाहिए।
8 तनाव
तनाव के कारण और निवारण
तनाव के कारण और निवारण
आजकल भागदौड़ के जीवन में कई बार हम तनाव की स्थिति में आ जाते हैं। यह स्थिति हताश करने वाली होती है। योग से शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक बना रहता है। योग करने से मन शांत और मस्तिष्क प्रबल रहता है जिससे व्यक्ति तनाव रहित रह सकता है।
9 सकारात्मक दृष्टिकोण
कभी-कभी जीवन की विषम परिस्थितियों व कष्टों के कारण मन अशांत रहता है। ऐसी परिस्थितियां जीवन के बारे में नकारात्मक सोच को विकसित करती है। यहां योग का उद्देश्य मन को शांत और खुश रखने का होता है। जब आप खुश रहते हैं और अच्छा महसूस करते हैं तो जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपने आप उत्पन्न हो जाता है।
0 टिप्पणियाँ